रविवार, दूसरों के लिए अपने जीना भी एक कला है क्योकि अपने लिए तो सभी जीते है परन्तु दूसरों केलिए कुछ अच्छा हो जय और उसका जीवन सवार जाय इसी उदेश्य को लेकर ग्वालियर की मेघा की सफलता की कहानी नहीं हकीकत है जो उसने किया है और उसको सफल बनाने किया जिससे उसको सफल बनाने के लिए किए उसमे उसको कितना आत्मीय सुख मिला और कितनी कठिनाई का सामना करना पडा है यह हमने जाना मेघा गुप्ता से।
मेघा गुप्ता ग्वालियर के महिला पॉलीटेक्निक कॉलेज में 8 से 12 साल के मूक- बधिर बच्चों के लिए कम्प्यूटर सेंटर चलाती हैं और ऐसे बच्चों को कम्प्यूटर की विविध विधाओं में दक्ष बनाने का काम करती हैं। जिससे वह सम्मान से अपना जीवन निर्वाह करा सके और अपने परिवार का भरण पोषण कर सके इसलिए बच्चों सहित सभी लोग उन्हें अब 'कम्प्यूटर वाली दीदी'' के नाम से जानते हैं।
मेघा का उद्देश्य है मूक-बाधिर बच्चों को रोजगार मिले और वो खुद की आजीविका चला सकें। मेघा द्वारा चलाए जा रहे सेंटर में अभी तक 70 से 80 बच्चे प्रशिक्षित होकर प्रायवेट जॉब कर रहे हैं। यह सब संभव हुआ है सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं के चलते। मेघा ने बताया कि मूक-बधिर बच्चों को कम्प्यूटर में प्रशिक्षित करने की उनकी इच्छा आर्थिक अभाव के कारण संभव नहीं हो पा रही थी। महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर ने नगर निगम की ओर से उन्हें 3 कम्प्यूटर उपलब्ध करवाए। मूक-बधिर बच्चों को प्रशिक्षित करने का उनका सपना अब पूरा होता नजर आने लगा है और ये बच्चे स्वयं कम्प्यूटर सीखकर खुद के पैरों पर खड़े हो रहे हैं।
मेघा ने बताया कि उनके द्वारा 8 से 12 वर्ष तक के मूक-बधिर बच्चों को छोटी-सी उम्र में ही कम्प्यूटर की विधा में दक्ष किया जा रहा है। इससे उन्हें अच्छा रोजगार उपलब्ध हो रहा है। मध्यप्रदेश शासन की जन-कल्याणकारी योजनाओं से समाज में बड़ी संख्या में नागरिक अच्छी जिंदगी जी रहे हैं और लोगों के प्रेरणा-स्रोत बन रहे हैं।