रायपुरः अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियां बंटोरने वाले आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारत में रहने वालों के लिए एक टिप्पणी की है. रायपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में रहने वाले हर शख्स एक ही है, और सबका डीएनए भी एक ही है. भागवत ने कहा कि भारत की खासियत वहां के लोगों को भारत के लोगों से जोड़ती है. अफगानिस्तान से म्यांमार तक और तिब्बत से श्रीलंका तक जितने जनसमूह रहते हैं, उन सभी के डीएनए बता रहे हैं कि सबके पूर्वज एक ही हैं.
परिवार की तरह है झगड़ा
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, 'आज हम एक दूसरे को भूल गए हैं, रिश्ते नाते भूल गए हैं, आपस में एक दूसरे का गला पकड़कर झगड़ा भी कर रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह एक है कि हम एक ही घर के लोग हैं. हम समान पूर्वजों के वंशज हैं'. भागवत ने कहा कि भारत उस संस्कृति को मानने वाला है जिन्होंने दुनिया को विज्ञान से रूबरू कराया है. उन्होंने कहा कि यह गौ रक्षा क्यों, ग्राम विकास क्यों, जैविक खेती का आग्रह क्यों कर रहे हैं. क्यों हम चाहते हैं कि बिछड़े हुए वापस घर आ जाएं, क्यों हम चाहते हैं कि समाज में विविधता को लेकर भेदभाव, मतभेद, विषमता न हो.
आदिवासियों को बरगला रहीं राष्ट्रविरोधी शक्ति
अपने संबोधन में नारी शक्ति को याद करते हुए भागवत ने रानी दुर्गावती को याद किया. उन्होंने कहा कि दुर्गावती ने आदिवासियों के लिए अपना बलिदान दिया. पर आज हालात यह है कि वह उपेक्षित और शोषित बना हुआ है. जिसका नतीजा यह हो रहा है कि मासूम आदिवासियों को राष्ट्रविरोधी शक्तियां अपनी ओर खींच रही हैं.
'भारत में रहने वाले सभी हिंदू'
यह कोई पहला मौका नहीं हैं जब भागवत ने इस तरह का ब्यान दिया हो. पिछले साल दिसंबर में भागवत ने भारत में रहने वाले सभी लोगों को हिंदू कहा था. उस वक्त भागवत त्रिपुरा में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. भागवत ने कहा था कि भारत का प्रयोजन दुनिया को सनमार्ग पर लाना है, लेकिन भारत ने अपना काम नहीं किया तो कौन जिम्मेदार होगा? भारत के भाग्य का विधाता कौन हैं? सारी दुनिया हिंदू समाज से यह सवाल करेगी.
ज़ी न्यूज़ डेस्क
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