देहरादून 28नव, ; उत्त रकाशी जिले की सिल्याचाई रा सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिये गये हैं। बचाव कार्यकर्ताओं और श्रमिकों के परिवारों ने केन्द्रा और राज्य सरकार के प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया है।
सभी श्रमिकों को निकटवर्ती सामुदायिक स्वा स्य्र केन्द्रि में ले जाया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री जनरल वी0 के0 सिंह इस दौरान मौजूद थे। केन्द्रर सरकार ने बचाव अभियान में पूरी मदद की और प्रधानमंत्री ने समूचे अभियान पर निगरानी रखी।
समूचे बचाव अभियान के दौरान भोजन, पानी, दवाएं और ऑक्सीजन निरंतर श्रमिकों तक पहुंचाई गई। केन्द्रा और राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियों ने युद्धस्तर पर समन्वय के साथ काम किया और फंसे हुए श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।
जिस रैट होल माइनिंग की तकनीक के सहारे सिलक्यारा टनल (Silkyara Tunnel) से मजदूरों को बाहर निकालने का आपरेशन पूरा हुआ उस तकनीक पर करीब 9 साल पहले बैन लगा दिया गया था। बैन की वजह थी अवैध रूप से इस पद्धति का प्रयोग करना। आखिर आप जानना चाहेंगे कि आखिर यह पद्धति होती क्या है। रैट का मतलब है चूहा, होल का मतलब है छेद और माइनिंग मतलब खुदाई। साफ है कि छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करना। इसमें पतले से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है और पोल बनाकर धीरे-धीरे छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया जाता है। हाथ से ही मलबे को बाहर निकाला जाता है। इस तरीके से होने वाली खुदाई से सुरक्षा खतरे उत्पन्न हो गए। ऐसा इसलिए क्योंकि खनिक सुरक्षा उपाय किए बिना गड्ढे में उतर जाते थे और कई बार हादसों का शिकार हो जाते थे। ऐसे कई मामले भी आए जहां बरसात में रैट होल माइनिंग के कारण खनन क्षेत्रों में पानी भर गया, जिसके चलते श्रमिकों की जानें गईं। यही कारण है कि साल 2014 में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने मेघालय में इस पद्धति से होने वाली खुदाई पर पाबंदी लगा दिया।